चिमूर
नगर परिषद चिमूर मे विगत दस दिनो से नलो से जलपुर्ती नही हो रही है, जिससे महीलाए हलाकान हो गई है. नगर परिषद प्रशासन कभी पाईपलाईन की मरम्मत का हवाला देकर टालमटोल करता है. तो कभी जलस्तर घटने का कारण बताया जा रहा है. हकीकत यह है की, उमा नदी पुर्ण रुप से सुख गई है, जिससे भिषन जलसंकट से जूझना चिमूर वासीयो का मुकद्दर बन गया है.
विदीत रहे की आझाद वार्ड, नेहरू वार्ड, आबादी वार्ड, इंदीरा नगर, मे हुतात्मा स्मारक और हजारे मुहल्ला स्थित पानी की टंकी से जलापूर्ती होती थी. लेकीन अब यह जलापूर्ती उमा नदी पर बने बांध के सटे बनी नई पानी की टंकी से हो रही है. आलम यह है की, इस टंकी मे जिस कुए से जलापूर्ती की जाती है वह एक बाद पर्याप्त पानी संचय कर सकता है. कुछ सप्ताह पहीले नगर परिषद प्रशासन की ओर से स्त्रोत मे जलस्तर घटने का कारण देकर एक दिन बाद जलापूर्ती होने की सुचना लाउडस्पिकर से प्रसारीत की गई थी. लेकीन विगत दस दिनो से जलापूर्ती नही हो रही है, जिससे महिलाओ को पानी के लिये मशक्कत करनी पड रही है. उल्लेखनीय है की, इस वार्ड मे जादातर लोग मजदुरी कर जिवनयापन करते है. जिससे पिने के पानी की कॅन खरीदना आर्थिक नियोजन से परे है.
महिलाओ ने नगर प्रशासन को कई बार समस्या से अवगत कराया. लेकीन कोई संज्ञान नही लेने से अब यह महिलाएं उग्र रुप धारण कर चुकी है. कभी भी गागर फोड़ आंदोलन चलाया जा सकता है.
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चिमूर शहर का पेयजल नियोजन वरोरा तहसील के चारगांव डॅम परियोजना से किया जाता था. बिजली बिल न भरना, कर्मचारियो की कमी, मरम्मत करने मे अनदेखी, तथा हाईवे निर्माण कार्य से पाईपलाईन बार बार क्षतीग्रस्त होना आदी कारनो से यह प्रकल्प अंतीम सांसे ले चुका है.
उमा नदी पर टीकी थी उम्मीद-
शहर से सटकर बहनेवाली उमा नदी मे बने कुएं से शहर मे जलापूर्ती की जा रही है. ग्रिष्मकाल के शुरू होते ही उमा नदी दम तोड चुकी है. उक्त कुए का जलस्तर बनाए रखने के लिये एक बांध भी बनाया गया है,लेकीन वह पुरी तरह से सुख चुका है. अब पेयजल का गहरा संकट चिमूरवासीयो के सामने खडा है. मात्र लोक प्रतिनिधी व प्रशासन विभिन्न उद्घाटन कार्यो, शादीयो मे व्यस्त है.