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मध्यप्रदेश में 50 हज़ार कर्मचारी गायब हर साल 460 करोड़ रुपए का घोटाला : माकपा

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भोपाल | घोटालों की सूची में मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने एक और कारनामा किया है l अचानक प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों में 50 हज़ार कर्मचारी गायब हो गए हैं l पिछले छह महीने से यह कर्मचारी अपना वेतन नहीं निकाल रहे हैं l इस प्रकार इन छह महीनों का 230 करोड़ रुपए का वेतन कोषालय से नहीं निकाला गया है l इसका अर्थ है कि हर वर्ष 460 करोड़ का घोटाला अधिकारी और उनके राजनीतिक आका मिलकर कर रहे थे l

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त आरोप लगाते हुए कहा है कि 23 मार्च को प्रदेश के कोषालय आयुक्त ने सभी जिला कोषालय अधिकारियों को पत्र लिखकर कर इन 50 हज़ार कर्मचारियों के बारे में जानकारी मांगी हैl इनमें से 40 हजार कर्मचारी स्थाई हैं और 10 हजार संविदा पर बताये जा रहे हैं l मजेदार बात यह है कि इन कर्मचारियों की न कोई पहचान दर्ज है न उपस्थिति | इनके नाम दर्ज हैं लेकिन कोई काम नहीं | इनका पद तो है लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं |

माकपा नेता ने कहा है कि आईएफएमआईएस सिस्टम के तहत ऐसे रेगुलर और नॉन रेगुलर कर्मचारियों का डाटा संलग्न है जिनका वेतन दिसंबर 24 के बाद से नहीं निकला है l इनके यूनिकोड सक्रिय हैं l इनकी मृत्यु या रिटायर्मेंट की तारीख दर्ज नहीं है I

जसविंदर सिंह ने कहा है कि भाजपा सरकार का यह बड़ा घोटाला है l पिछले 22 वर्षों में सिर्फ 15 महीने को छोड़कर भाजपा की सरकार है I यदि यह घोटाला बीस साल से भी चल रहा है तो यह दस हजार करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला है l जिसमें सिर्फ अधिकारी ही नहीं मंत्री और नेता भी शामिल हैं l इस घोटाले की जांच में यह जांच भी की जानी चाहिए कि इनका वेतन किस बैंक अकाउंट में जा रहा था और इसे कौन आपरेट कर रहा थाl

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि इस घोटाले से साफ हो गया है कि भाजपा सरकार किस बेरहमी से प्रदेश की जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई को लूट रही है|

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सर्वोच्च न्यायालय के सिटिंग जज से इस घोटाले की जांच करवाने की मांग करती है I

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